बता दें कि मौनीबाबा की तबियत 12 दिसम्बर को खराब हो गई थी जिनका इलाज पहले बलिया में कराया गया था।इलाज के बावजूद कोई सुधार नहीं होने पर उन्हें बेहतर इलाज के लिए लखनऊ ले जाया गया था जहां फेफड़े में कन्जेशन होने के कारण 3 जनवरी को मिडलैंड अस्पताल में भर्ती कराया गया था।जहां इलाज के दौरान ही 10 जनवरी को वे शरीर त्याग कर गोलोकवासी हो गए।
चूंकि दूहा मठ में उनके संयोजन में 40 दिवसीय राजसुय महायज्ञ का बहुत बड़ा कार्यक्रम चल रहा था ।इस कार्यक्रम में कोई विध्न न पड़े इस लिए बाबा के शरीर त्याग की खबर को तब आयोजन कमेटी द्वारा छिपा दिया गया था।
सोमवार की सुबह मौनी बाबा का पार्थिव शरीर अद्वैत शिव शक्ति परमधाम के प्रांगण में पहुंचते ही यह खबर जंगल में लगी आग की तरह फैल गई। कुछ ही देर में उनके मानने वालों का हुजूम उमड़ पड़ा। इस दौरान भीड़ के दर्शन के बाद गमगीन वातावरण में उनके पार्थिव शरीर की नियमानुसार समाधि दी गई। इस दौरान भीड़ के गगन भेदी नारों से काफी देर तक परिसर गूंजता रहा।
इस अवसर पर शांति व्यवस्था बनाये रखने के लिए अन्य जनपदों से भी पुलिस के जवान लगाए गए थे। साथ ही अपर जिलाधिकीरी राजेश गुप्ता, अपर पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार झा की देखरेख में चार उपजिलाधिकारी 15 इंस्पेक्टर, 50 दरोगा ,150 प्रदेश पुलिस के जवान ,25 महिला कांस्टेबल एवं एक कंपनी पीएसी के जवान प्रशासन की तरफ से तैनात किए गए थे ।
रिपोर्ट - जितेन्द्र राय
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